About

About Dr. Sudhakar Tiwari
Dr. Sudhakar Tiwari

About Dr. Sudhakar Tiwari

Dr. Sudhakar Tiwari was born on Krishna Janmashtami, Vikram Samvat 2012 (10 August 1955) into a family of scholars. His grandfather, Pt. Rajmangal Tiwari, was a distinguished scholar of Sanskrit, Astrology, and Ayurveda.

Nearly one and a half centuries ago, his ancestors migrated from Tanda (Faizabad) to the present village, seeking relief from the recurring floods of the river Saryu.

Education
PhD in Bhojpuri Literature, multiple degrees in Hindi, Sanskrit, and English
Publications
Author of numerous books and research papers on Bhojpuri language and literature
Recognition
Cultural Ambassador of Bhojpuri Literature, awarded by multiple institutions

भोजपुरी और भाषाशास्त्र के गहन अध्येता डॉ0 सुधाकर तिवारी का जन्म तत्कालीन देवरिया जनपद के पड़रौना तहसील के विकास क्षेत्र फाजिलनगर के धौरहरा ग्राम में कृष्ण जन्माष्टमी संवत् 2012 को गर्गमुख शाण्डिल्य गोत्रीय परिवार में श्रीमती राजमती देवी और स्व0नरेन्द्र उर्फ नथुनी तिवारी के प्रथम पुत्र के रूप में हुआ था । उनके पितामह स्व0पं0राजमंगल तिवारी हिन्दी संस्कृत आयुर्वेद और ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान् थे । उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता का भोजपुरी में पद्यानुवाद किया था पर उसकी कोई प्रति आज उपलब्ध नहीं है । डॉ0सुधाकर तिवारी की प्राथमिक शिक्षा स्व0 राजमंगल तिवारी , स्व0विश्वनाथ तिवारी , स्व0शारदा प्रसाद तिवारी स्व0दुर्गा प्रसाद तिवारी की देखरेख में आरम्भ हुई । गॉंव के ही प्राथमिक विद्यालय से उन्होंने 1966 में प्राथमिक शिक्षा पूरी की । अपनी प्राथमिक शिक्षा पर चर्चा करते हुए डॉ0तिवारी बताते हैं कि जब वह कक्षा तीन में पढ़ रहे थे तभी उनको हनुमान चालीसा , दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती के बहुत सारे श्लोक याद हो गये थे । इनका वह नियमित पाठ करते थे जो आज भी जारी है । प्राथमिक कक्षा की एक घटना के बारे में चर्चा करते हुए वह कहते हैं कि जब वह चार में पढ रहे थे तो डिप्टी साहब विद्यालय का मुआयना करने आये थे । बालक सुधाकर तिवारी के माथे पर लाल चन्दन का टीका लगा था । डिप्टी साहब जिनका नाम मनबोध पाण्डेय था , ने उनसे पूछा ” पूजा करते हो क्या ?” बालक सुधाकर ने “हॉ” में अपना सिर हिला दिया । डिप्टी साहब ने सभी बालकों को “पूजा ” लिखने को कहा । सबने सही लिखकर दिखा दिया । इसके बाद डिप्टी साहब ने “पुजारी” शब्द लिखने को कहा । बालक सुधाकर को छोड़कर सबने पुजारी शब्द गलत लिखा था । इस प्राथमिक विद्यालय से कक्षा पांच की परीक्षा 1966 में उत्तीर्ण करने के बाद वह अपने चाचा स्व0 दुर्गा प्रसाद तिवारी , वशिष्ठ नारायण उपाध्याय , रामप्यारे सिंह , जवाला प्रसाद तिवारी , दूधनाथ गुप्त , महातम सिंह एडवोकेट द्वारा नवस्थापित / संचालित विद्यालय शोणभद्र लघु माध्यमिक विद्यालय मटिहनिया कटेया मैनुद्दीन , जो अब इण्टरमीडिएट कॉलेज बन गया है , से कक्षा छह से आठ तक अध्ययन करने के बाद यहीं से 1969 में जूनियर हाई सकूल परीक्षा उत्तीर्ण किया । पावानगर इण्टरमीडिएट कॉलेज फाजिलनगर से 1971 में हाई स्कूल और 1973 में इण्टरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण किया । ,बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुशीनगर से हिन्दी संस्कृत अंगरेजी तथा भारतीय संस्कृति विषयों के साथ स्नातक परीक्षा 1975 में तथा स्नातकोत्तर परीक्षा हिन्दी विषय में 1977 में उत्तीर्ण किया । यह उद्धरणीय है कि स्नातक स्तर पर तीन साहित्य का अध्ययन करने की अनुमति एवं नियम नहीं होने के बाद भी कुलपति के सम्मुख उन्होंने ऐसे अकाट्य तर्क प्रस्तुत किया जिससे विवश होकर कुलपति को तीनों साहित्य विषयों के साथ स्नातक कक्षा में प्रवेश की अनुमति देना पड़ा था । यह भी स्मरणीय और विचारणीय है कि तत्कालीन समय में अविभाजित उत्तर प्रदेश में कुल 369 महाविद्यालय थे और यह सभी गोरखपुर विश्वविद्यालय से ही सम्बद्ध थे । गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष एवं प्राध्यापकों का दुराग्रह था कि वह सम्बद्ध महाविद्यालयों के किसी भी छात्र को प्रथम श्रेणी के अंक किसी भी दशा में नहीं देते थे । सुधाकर तिवारी ने तब इस मोनोपोली के विरुद्ध भी संघर्ष किया और 1977 में पहली बार सम्बद्ध महाविद्यालय के छात्र के रूप में न केवल प्रथम श्रेणी के अंक प्राप्त किया अपितु विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया । 1979 में डॉ0 सुधाकर तिवारी का विवाह बिहार प्रान्त के गोपालगंज जनपद के निसासी स्वर्गीया परमज्योति तिवारी तथा स्व0पं0सीताराम तिवारी टोला गौरा काशीराम थाना एवं प्रखण्ड कटेया निवासी की पंचम पुत्री शकुन्तला तिवारी के साथ 05 मई 1979 को सम्पन्न हुआ1मनु परम्परा में उनको वासवदत्ता , श्वेता , मनीषा तधा उपासना चार पुत्रियॉं तथा ऋत्कुमार एक पुत्र हैं जो देश – विदेश में विविध सेवाओं में कार्यरत हैं ।980 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से डॉ0 देवर्षि सनाढ्य के निर्देशन में हिन्दी लोकसाहित्य में प्रकृति शीर्षक शोध प्रबन्ध पर पीयच0डी0उपाधि प्राप्त किया । इसी अवधि में वह आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री के साथ चार वर्ष तक मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक के पद पर कार्यरत रहे । अविभाजित उत्तर प्रदेश के गढ़वाल मण्डल में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय वेदीखाल पौड़ी गढवाल में 1981 सितम्बर में उन्होंने उच्च शिक्षा सेवा समूह क राजपत्रित अधिकारी के रूप में अध्यापन कार्य आरम्भ किया । 1984जून तक वह यहॉं कार्यरत रहे । जुलाई 1984 से 1987 तक वह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय‌ अगस्तयमुनि , जुलाई 1987 से जुलाई 1988 तक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय चम्बा टिहरी गढ़वाल , जुलाई 1988 से जुलाई 1990 तक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर पौड़ी गढ़वाल , जुलाई1990 से जुलाई 1992 तक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बीसलपुर पीलीभीत ,जुलाई 1992 से जुलाई 2008 तक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय महमूदाबाद सीतापुर , जुलाई 2008से जुलाई 2012 तक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय फतेहाबाद आगरा और जुलाई 2012 से जुलाई 2016 तक राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ओबरा सोनभद्र में कार्य किया और यहीं से 30 जून 2016 को वह सरकारी सेवा से सेवा निवृत्त हुए । इसी क्रम में वह एक वर्ष जुलाई 1993 से अप्रेल 1994 तक महाप्राण निराला महाविद्यालय ओसिया उन्नाव के प्रशासक रहे । इसके अतिक्त अल्पावधि के लिए राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पचवस बस्ती , राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कॉंधला मुजफ्फरनगर , राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मॉट मथुरा में भी कार्यरत रहे । उनके अनुशासन और प्रशासनिक क्षमता को इससे समझा जा सकता है कि जब कहीं भी किसी राजकीय महाविद्यालय में अस्थिरता उत्पन्न होती थी , अव्यवस्था उत्पन्न होती थी , अराथकता उत्पन्न होती थी प्रशासनिक व्यवस्था सम्हालने के लिए सुधाकर तिवारी को भेज दिया जाता था । वह अपने समय के सबसे कम उम्र के 32 वर्ष की आयु में डी0लिट्0 उपाधि से अलंकृत होने वाले पहले व्यक्ति हैं । अविभाजित देवरिया के वह अभी तक के एक मात्र डी0लिट्0 उपाधि अलंकृत विद्वान् हैं । उनकी चार दर्जन से अधिक पुस्तके तथा सौ से अधिक शोधपत्र विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं । 1992 से वह भोजपुरी भाषा साहित्य कला और संस्कृति के विकास और संवर्द्धन के लिए प्रयत्नशील हैं । डॉ0 सुधाकर तिवारी के शोध निर्देशन में कुल पैंसठ शोध छात्रों ने पीयच0डी0 और दो शोध छात्रों ने डी0लिट्0 उपाधि प्राप्त किया है । अपने अध्यापन काल में ही उन्होंने 1988 में प्रो0 नरेन्द्र कुमार शर्मा के निर्देशन में गढ़वाल विश्वविद्यालय से डी0लिट्0 उपाधि प्राप्त किया । 1985 में गढ़वाल विश्वविद्यालय से अंगरेजी साहित्य में एम0ए0 प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण किया । पूना हिन्दी विद्यापीठ से 1983 में भाषाविज्ञान में एम0लिट्0 उपाधि प्राप्त किया । डॉ0 तिवारी उदयन साहित्य परिषद् फाजिलनगर देवरिया , हिन्दी सभा सीतापुर के कार्यकारिणी के सदस्य रहे । वर्तमान में वह भोजपुरी विकास मंच के संरक्षक तथा प्रवर समिति के अध्यक्ष , सृष्टि पब्लिकेशन , प्रगति प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक , भोजपुरी शोध संस्थान के निदेशक , अवधी शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य , अवधी भाषा संस्थान के सलाहकार और संरक्षक, निराला शब्द मंच के संरक्षक तथा विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अन्तरराष्ट्रीय महासचिव हैं ।

डॉ0 सुधाकर तिवारी हिन्दी सभा सीतापुर से नरोत्तम साहित्य सम्मान 1998 , महेन्द्र शास्त्री सरल सम्मान 2002, अन्तरराष्ट्रीय भोजपुरी ट्रस्ट से डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद भोजपुरी साहित्य सम्मान 2021, मनु शर्मा साहित्य सम्मान 2021गॉंधी भवन लखनऊ , अवधी श्री सम्मान तुलसी पीठ नैमिषारण्य 2022, तुलसी अवधी सम्मान अवधी शोध संस्थान 2022, जायसी अवधी सम्मान अवधी शोध संस्थान 2023, अक्षदा कुटुम्ब सम्मान 2023, पृथ्वी पहल सम्मान 2024 से सम्मानित हैं ।
डॉ0 सुधाकर तिवारी ने डॉ0 राजकुमार पाण्डेय अभिनन्दन ग्रन्थ
” बुद्ध की समाधिस्थली का मौन साधक ‘ 1992
तथा डॉ0अरुणेश नीरन अभिनन्दन ग्रन्थ “नीरन नीराजनम् ” 2025जैसे महत्वपूर्ण अभिनन्दन ग्रन्थों का सम्पादन कार्य भी किया है ।

 
 
Academic & Broadcasting Profile

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Education history and media associations

Education History

School Education

1966
Primary Education
Primary School, Dhaurahra
Block Fazilnagar, Tehsil Padrauna, District Deoria
1969
Junior High School
Shon Bhadr Laghu Madhyamik Vidyalaya, Matihaniya
Deoria
1971
High School
Pawanagar Mahavir Intermediate College, Fazilnagar
Deoria
1973
Intermediate
Pawanagar Mahavir Intermediate College, Fazilnagar
Deoria

Higher Education

1975
Graduation
Buddha Post Graduate College, Kushinagar
Hindi, Sanskrit & English Literature
1977
Post-Graduation
M.A. in Hindi Literature, Buddha Post Graduate College
Kushinagar
1980
Ph.D.
Gorakhpur University
Under Dr. Devarshi Sanadhya
Research Topic: "Nature in Hindi Folk Literature"
1983
M.Litt. in Linguistics
Pune Hindi Vidyapeeth
1985
M.A. in English Literature
Garhwal University, Srinagar
1988
D.Litt.
Garhwal University, Srinagar
Under Dr. Narendra Kumar Sharma
Research Topic: "A Linguistic Analysis of the Poetry of Jankivallabh Shastri"

Broadcasting Association

All India Radio Doordarshan Multiple Centers

All India Radio Centers

  • Gorakhpur
  • Lucknow
  • Rampur
  • Najibabad
  • Allahabad
  • Sarnath
  • Obra

Doordarshan Centers

  • Lucknow
  • Dehradun

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📍 Address:
Dhaurahra Kalibag,
Fazilnagar, Kushinagar – 274401,
Uttar Pradesh, India

📞 Phone:
+91 9454043002

📧 Email:
tiwaridrsudhakar@gmail.com

 
 
 

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